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असली राम कौन है

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प्रायः राम शब्द आते ही दशरथ पुत्र राम का ध्यान जहन में आ जाता है लेकिन असली राम आदिराम को जानने वाले बहुत कम संख्या में है  #who_is_real_ram कबीर, राम राम सब जगत बखाने #आदिराम कोई बिरला जाने #1_एक राम दशरथ का बेटा   #2_एक राम घट घट घट में बैठा  #3_एक राम का सकल पसारा  #4_एक राम सबहू से न्यारा   जब #सतयुग में #राम और #कृष्ण भगवान #नहीं थे तो उस समय लोग #किसकी #भक्ति #करते #थे। कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार। त्रिदेवा (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) शाखा भये, पात भया संसार।। कबीर, तीन देवको सब कोई ध्यावै, चौथा देवका मरम न पावै। चौथा छांडि पँचम ध्यावै, कहै कबीर सो हमरे आवै।। कबीर, तीन गुणन की भक्ति में, भूलि पर्यौ संसार। कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरै पार।। कबीर, ओंकार नाम ब्रह्म (काल) का, यह कर्ता मति जानि। सांचा शब्द कबीर का, परदा माहिं पहिचानि।। कबीर, तीन लोक सब राम जपत है, जान मुक्ति को धाम। रामचन्द्र वसिष्ठ गुरु किया, तिन कहि सुनायो नाम।। कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार। जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नारि।। कबीर, चार भुजाके भजनमें,

महामारी क्यों आती हैl

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महगामारी दुनिया के किसी कोने को नहीं छोड़ा. करोड़ों इंसानों की जान लेने के साथ-साथ इसने कई इंसानी बस्तियों के तो नामो-निशान तक मिटा दिए. तो क्या है हर सदी में आने वाली इन महामारियों की कहानी. सब कुछ होते हुए भी इन महामारियों के सामने बेबस हो जाता है इंसान. इन महामारियों का इलाज असाध्य बीमारियों का इलाज सतभक्ति से ही संभव है। इसलिए सतभक्ति अपनाएं, जीवन सफल बनायें। संत गरीब दास जी की वाणी में वर्णन है कि सतलोक में कितना सुख हैl मन तू चल रे सुख के सागर, जहाँ शब्द सिंधू रत्नागर।। जहां संखो लहर महर की उपजे, कहर नहीं जहाँ कोई। दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई। पवित्र वेदों व गीता जी आदि पवित्र सदग्रंथों में प्रमाण मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है व अधर्म की वृद्धि होती है तब परमेश्वर स्वयं आकर या अपने परम संत यानी सच्चे सतगुरु को भेजकर सत्य ज्ञान के द्वारा धर्म की पुनर्स्थापना करता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज द्वारा ही सत्य ज्ञान दिया जा रहा है। सतभक्ति इसलिए आवश्यक है क्योंकि  इससे ही रोग नाश हो सकते हैं।

Gyan Or Vigyan me antar

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Vigyan ka sidha Arth Vastuon ki jankari basil karnaYadi Gyan Ko samjhen to Gyan ka matlab manviya mulyon k anusar Chintan karna Or Charitra k lea aasthavan banana   Kahate Hain ki manushya me Janam se hi pashu vrati Hoti hleki en avgunon ka Naash Gyan se Sanskar se hota h ye hi mukhya rup se antar hota h gyan Or vigyan me kiska prarup chote Or bade rup me hota h 

Bhakti Jo Satbhakti ho

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पूर्ण गुरु से नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहते हुए आजीवन सत भक्ति करने से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष मिलता है। सत भक्ति करने से अहंकार से दूर होकर मनुष्य नेक इंसान बन कर सुखी जीवन व्यतीत करता है। सतभक्ति से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक सुख होता है। इसलिए सतभक्ति करना ज़रूरी है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए सच्ची भक्ति ज़रूरी है। जन्म मरण के चक्र से छूटने के लिए सतभक्ति ज़रूरी है। सच्ची भक्ति अपनाएं, मोक्ष कराएं। सतभक्ति करने से हमारे विचारों में शुद्धता आती है और आत्मा पवित्र बन जाती है। सतभक्ति से ही जीवन उद्धार हो सकता है। भक्ति से इंसान को सही दिशा मिलती है नहीं तो वह पशु के समान रहता है। सतभक्ति करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे जीवन सुखी हो जाता है। सतभक्ति से इंसान इस जीवन में भी सुखी रहता है व उसको मृत्यु के पश्चात भी सही ठिकाना मिल जाता है। सतभक्ति इसलिए आवश्यक है क्योंकि  इससे ही रोग नाश हो सकते हैं। असाध्य बीमारियों का इलाज सतभक्ति से ही संभव है। इसलिए सतभक्ति अपनाएं, जीवन सफल बनायें। सतभक्ति अति आवश्यक है क्योंकि स्तभक्ति बिना मोक्ष असम्भव है। मानव जीवन में सतभक्ति नहीं की तो परमात्मा के व

Pavitra Kurran Sharif

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फजाइले दरूद शरीफ मन सल्ला अला रूहि मुहम्मदिन फिल् अर्वाहि व अला-ज-स दिही फिल् अज्सादि व अला कबिर(कबीर) ही फिल कुबूरि व इन्नहाल कबीर तुन इल्ला अलल् खाशिलीनल्लजीन यजुन्नून अन्नहुम मुलाकू रग्बिहिन व अन्नहुम इलैहि राजिऊन। फजाइले जिक्र अल्लीमूल गैब बसाहादाती तील कबीर रूलमुतालू (2) वह कबीर अल्लाह तमाम पोशीदा और जाहिर चीजों का जानने वाला है(सबसे) बड़ा है और आलीशान रुत्बे वाला है। फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विशेष पवित्र पुस्तक है जिसमें पूजा की विधि तथा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब का नाम विशेष रूप से वर्णित है। हजरत मुहम्मद जी का खुदा कह रहा है कि हे पैगम्बर! काफिरों का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते। आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना। क़ुरान सूरह अल-फुरकान नं. 25 आयत नं. 52 हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टी की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्य

Shri madd Bhagvat Gita

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गीता अध्याय 16 श्लोक 23 जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है। गीता अध्याय 8 श्लोक 5 तथा 7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा युद्ध भी कर, निःसंदेह मुझे प्राप्त होगा, परंतु जन्म-मृत्यु दोनों की बनी रहेगी। अपनी भक्ति का मंत्र अध्याय 8 के श्लोक 13 में बताया है कि मुझ ब्रह्म की भक्ति का केवल एक ओम अक्षर है। इस नाम का जाप अंतिम श्वांस तक करने वाले को इससे मिलने वाली गति यानि ब्रह्मलोक प्राप्त होता है। वास्तविक भक्ति विधि के लिए गीता ज्ञान दाता प्रभु (ब्रह्म) किसी तत्वदर्शी की खोज करने को कहता है (गीता अध्याय 4 श्लोक 34) इस से सिद्ध है गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) द्वारा बताई गई भक्ति विधि पूर्ण नहीं है। गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता ह

Sikhism

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नानक जी को कबीर साहेब जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे। उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है  गुरु ग्रन्थ साहिब राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29 फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।। खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।। सर्व का रचनहार, दयालु,  सर्व सुखदाई परमात्मा कबीर साहेब जी हैं। श्री गुरु ग्रन्थ साहेब, पृष्ठ नं. 721, महला 1, राग तिलंग आदरणीय नानक साहेब जी की वाणी में लिखा है कि :- यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश कून करतार। हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।। श्री गुरु ग्रंथ साहिब पृष्ठ 839, महला 1, राग राग बिलावलु, अंश 1 में श्री नानक जी ने अपनी अमर वाणी में कहा है कि परमात्मा ने स्वयं ही अपने हाथों से सर्व सृष्टि की रचना की है। आपे सचु कीआ कर जोड़ि। अंडज फोड़ि जोडि विछोड़।। धरती आकाश कीए बैसण कउ थाउ। राति दिनंतु कीए भउ-भाउ।।