Vigyan ka sidha Arth Vastuon ki jankari basil karnaYadi Gyan Ko samjhen to Gyan ka matlab manviya mulyon k anusar Chintan karna Or Charitra k lea aasthavan banana
Kahate Hain ki manushya me Janam se hi pashu vrati Hoti hleki en avgunon ka Naash Gyan se Sanskar se hota h ye hi mukhya rup se antar hota h gyan Or vigyan me kiska prarup chote Or bade rup me hota h
प्रायः राम शब्द आते ही दशरथ पुत्र राम का ध्यान जहन में आ जाता है लेकिन असली राम आदिराम को जानने वाले बहुत कम संख्या में है #who_is_real_ram कबीर, राम राम सब जगत बखाने #आदिराम कोई बिरला जाने #1_एक राम दशरथ का बेटा #2_एक राम घट घट घट में बैठा #3_एक राम का सकल पसारा #4_एक राम सबहू से न्यारा जब #सतयुग में #राम और #कृष्ण भगवान #नहीं थे तो उस समय लोग #किसकी #भक्ति #करते #थे। कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार। त्रिदेवा (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) शाखा भये, पात भया संसार।। कबीर, तीन देवको सब कोई ध्यावै, चौथा देवका मरम न पावै। चौथा छांडि पँचम ध्यावै, कहै कबीर सो हमरे आवै।। कबीर, तीन गुणन की भक्ति में, भूलि पर्यौ संसार। कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरै पार।। कबीर, ओंकार नाम ब्रह्म (काल) का, यह कर्ता मति जानि। सांचा शब्द कबीर का, परदा माहिं पहिचानि।। कबीर, तीन लोक सब राम जपत है, जान मुक्ति को धाम। रामचन्द्र वसिष्ठ गुरु किया, तिन कहि सुनायो नाम।। कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार। जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नारि।। कबीर, चार भुजाके भजनमें,
पूर्ण गुरु से नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहते हुए आजीवन सत भक्ति करने से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष मिलता है। सत भक्ति करने से अहंकार से दूर होकर मनुष्य नेक इंसान बन कर सुखी जीवन व्यतीत करता है। सतभक्ति से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक सुख होता है। इसलिए सतभक्ति करना ज़रूरी है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए सच्ची भक्ति ज़रूरी है। जन्म मरण के चक्र से छूटने के लिए सतभक्ति ज़रूरी है। सच्ची भक्ति अपनाएं, मोक्ष कराएं। सतभक्ति करने से हमारे विचारों में शुद्धता आती है और आत्मा पवित्र बन जाती है। सतभक्ति से ही जीवन उद्धार हो सकता है। भक्ति से इंसान को सही दिशा मिलती है नहीं तो वह पशु के समान रहता है। सतभक्ति करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे जीवन सुखी हो जाता है। सतभक्ति से इंसान इस जीवन में भी सुखी रहता है व उसको मृत्यु के पश्चात भी सही ठिकाना मिल जाता है। सतभक्ति इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे ही रोग नाश हो सकते हैं। असाध्य बीमारियों का इलाज सतभक्ति से ही संभव है। इसलिए सतभक्ति अपनाएं, जीवन सफल बनायें। सतभक्ति अति आवश्यक है क्योंकि स्तभक्ति बिना मोक्ष असम्भव है। मानव जीवन में सतभक्ति नहीं की तो परमात्मा के व
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है। गीता अध्याय 8 श्लोक 5 तथा 7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा युद्ध भी कर, निःसंदेह मुझे प्राप्त होगा, परंतु जन्म-मृत्यु दोनों की बनी रहेगी। अपनी भक्ति का मंत्र अध्याय 8 के श्लोक 13 में बताया है कि मुझ ब्रह्म की भक्ति का केवल एक ओम अक्षर है। इस नाम का जाप अंतिम श्वांस तक करने वाले को इससे मिलने वाली गति यानि ब्रह्मलोक प्राप्त होता है। वास्तविक भक्ति विधि के लिए गीता ज्ञान दाता प्रभु (ब्रह्म) किसी तत्वदर्शी की खोज करने को कहता है (गीता अध्याय 4 श्लोक 34) इस से सिद्ध है गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) द्वारा बताई गई भक्ति विधि पूर्ण नहीं है। गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता ह
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