Sikhism

नानक जी को कबीर साहेब जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे।
उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है 
गुरु ग्रन्थ साहिब
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।
सर्व का रचनहार, दयालु,  सर्व सुखदाई परमात्मा कबीर साहेब जी हैं।
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब, पृष्ठ नं. 721, महला 1, राग तिलंग
आदरणीय नानक साहेब जी की वाणी में लिखा है कि :-
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश कून करतार। हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब पृष्ठ 839, महला 1, राग राग बिलावलु, अंश 1 में श्री नानक जी ने अपनी अमर वाणी में कहा है कि परमात्मा ने स्वयं ही अपने हाथों से सर्व सृष्टि की रचना की है।
आपे सचु कीआ कर जोड़ि। अंडज फोड़ि जोडि विछोड़।।
धरती आकाश कीए बैसण कउ थाउ। राति दिनंतु कीए भउ-भाउ।।

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